गले के आभूषण

  गुलबंद या गुलोबंद -यह भी स्वागतम का भाषण है जो 10 से 30 ग्राम सोने का बना होता है। इसमें 10 से 12 तक चौक को कलात्मक स्वर्ण पत्र मखमल या सनील के 30 सेंटीमीटर 3 सेंटीमीटर चौड़ी पट्टी लगे होते हैं उसे गले में  छूते हुए पहना जाता है कुमाऊं क्षेत्र में गुलबंद कोई रामनवमी पर भी पहना जाता है।


लॉकेट:- यह बात प्रचलित स्वर्ण आभूषण है, जिसे हार भी कहा जाता है। यह सोने का बनाया जाता है। जिसका भार 100 से 300 ग्राम होता है। और प्रौढ़ महिलाएं चांदी का पेंडल युक्त सात से आठ लड़कियों का हार पहनती है।

चर््यो:-यह मायावती है , जिसमें चांदी या सोने के दानों का के साथ लाख या थालीपोत के दाने क्रम में जुड़े होते हैं। सोने का 10 से 30 ग्राम तथा चांदी का 20 से 40 ग्राम का बनाया जाता है। सुहाग चिन्ह होने के कारण इसको उतारना अशुभ माना जाता है।

हंसुली:-जनसाधारण का लोकप्रिय आ

भूषण है।यह दूसरा से 5 ग्राम तक चांदी का बनाया जाता है। संपन्न परिवारों में सोने की हसरत में भी बनाई जाती है।

कंठीमाला:-20-40 ग्राम  भार  सोने या चांदी के खाचों में  नग जड़कर डिजाइन वाली या मछली के आकार की बनाई जाती है।

मूंगों की माला :-  जिसमें विशुद्ध  रूप से डोरे पर मूंगे के दानों के द्वारा या बीच-बीच में सोने या चांदी की गांठ में पिरो कर बनाया जाता है। इसकी लंबाई 40 से 50 सेंटीमीटर रखी जाती है।

 चवन्नीमाला:-इसे हमेल भी कहा जाता है। चांदी की पुरानी भाई 22:00 चवन्नी या चांदी के रुपयों को डोरे में इस प्रकार डाला जाता है कि दोनों और 11-11 सिक्के दिखें।


गले के इन आभूषणों के अतिरिक्त चंदरौली, चंपाकली चेन पैंडल तथा विभिन्न प्रकार के ताबीज भी प्रचलित हैं।

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