आभूषण- नाक के आभूषण

                             नथ(नथूली)







"नथ" उत्तराखंड में शुभ कार्यों में प्रयोग होने वाला आभूषण है। इसे वैवाहिक कार्यों में प्रयोग में लाया जाता है।इसे मुख्य रूप से विवाहित स्त्री पहनती हैं। यह समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। कुमावत सा गढ़वाल दोनों ही क्षेत्रों में नथिया नथुली को सुहाग का प्रतीक माना जाता है इसकी बनावट मैदानी भागों की  होनथ में से भिन्न होता हैय।30 से 50 ग्राम भार की तथा 10 सेंटीमीटर अर्थ व्यास की गोलाकार छल्ले जैसे आकृति की होती है  ,नीचे वाले भाग में लाल हरे गुलाबी रंग के सितारे लगे होते हैं इसे एक जंजीर के द्वारा हुक लगा कर बालों से लटका कर नाक पर पहनना होता है जिससे कि इसका भार नाक पर कम महसूस होता है। टिहरी गढ़वाल की नथ अपनी विशिष्ट बनावट और भार के कारण बहुत प्रसिद्ध है कहीं कहीं इसे बेसर भी कहा जाता है। गढ़वाल में हल्दी हाथ मै  में अधिकांशतः पीले कपड़े पहने जाते हैं। यह परिवार की धन संपदा समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।

                     बुलाक
यहां पर्वतीय क्षेत्र का एक विशिष्ट आभूषण है। बुलाक 5 से 10 ग्राम तक सोने से बनाई जाती है ,इसका ऊपरी भाग उल्टे U के आकार के हुक द्वारा जुड़ा हुआ रहता है बुलाक का मध्य भाग ,चौड़ा व नीचे का भाग शंक्वाकार आकृति का होता है इसे अल्लाह के मध्य भाग को छीदवा कर बना को पहना जाता है।


                                फूली, फूल (लौंग)
यह फूल की आकृति का बना हुआ मीना जड़ा हुआ या लौंग  के आकार का आभूषण सुहाग का सूचक होता है। किसी विवाहित स्त्रियों के द्वारा पहनना आवश्यक होता है यह 100 मिलीग्राम से 2 ग्राम तक वजन का आभूषण नाक के बाएं और छेद करके पहना जाता है।




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